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इक पोशीदा दरिया नज़्मों का 






ज़िन्दगी की इस अंधाधुंध दौड़ और दुनिया की आपा-धापी से दूर भी इक जहान है, जहाँ सिर्फ़ हम होते हैं और होता है हमारे जज़्बातों का इक अबद दरिया। इन्हीं जज़्बातों के दरिया में सराबोर हैं ये नज़्में, जो आज तलक सबकी नज़रों से पोशीदा थीं। ये किताब इन्हीं 100 चुनिंदा पोशीदा नज़्मों का संकलन है। इसमें मौजूद हर नज़्म एक दूसरे से अलहदा है। इन नज़्मों में कहीं आपको इश्क़ की चाशनी मिलेगी, कहीं रूहानी सुकून मिलेगा तो कहीं मिलेंगे वो दर्द भरे जज़्बात। ये किताब उर्दू ज़बान ना जानने वालों के लिए भी है, क्यूँकि इसमें फ़ुटनोट पर मुश्किल शब्दों की मायने भी मौजूद हैं, जिससे आपको पढ़ने में बहुत आसान लगेगी।

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